चांद जमीं पर चलने लगा है
क्यूं फिर आसमां ताकने लगा है।
सिर्फ चार बातें नज़रों की
तन्हाई की क्यूं बात करने लगा है।
बेवजह फिर दोस्ती के हाथ बढ़ चले
खंजर का लहू अब सूखने लगा है।
दर्द की कहानी लम्हें दोहरायेंगे
लम्हों का दर्द से वास्ता कब से होने लगा है।
Friday, December 1, 2006
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