अंकुरण से उगा पौधा
अनुभव से गुजरता,
बनता हूआ वृक्ष
वृक्ष जिसे धूप, कभी सताती नहीं
अंधेरी रात कभी डराती नहीं
बारिश कभी रुलाती नहीं
आंधी कभी हिलाती नहीं
समर्पित मौन
जीवन को शीतलता पहुंचाता
सारी पीड़ाओं के बावजूद
कितना शांत, कितना सरल
एकाकी वृक्ष
Friday, December 1, 2006
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