रोते-रोते तन्हा वो सो गयी
ना जाने फितरत ऐसी हो गयी ।
लब पर आयी बात मुस्कराई
खुद में ही सिमटती चली गयी ।
अश्कों की कहानी वफा की बात थी
बेवफाई की क्या वजह हो गयी ।
मेले में ढूंढती रही तन्हाई
तन्हाई में क्यूं मेले की याद आई ।
वफा तो निभ ही गयी आखिर
अश्क पानी के मोल मिलती गयी ?
Friday, December 1, 2006
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