Friday, December 1, 2006

टूटेसराय की कहानी होने लगी

ग़ज़ल फिर अब मुडने लगी
नियमों की किताब खुलने लगी।

सर्द रातों में जागना उसका
पागलों सी बात होने लगी।

वफा की बात थी और क्या
तारीफ़ की बारिश होने लगी।

दिन ढले पक्षियों का लौटना
टूटेसराय की कहानी होने लगी।

आंखों में अश्क आये जरुर
बहाने की बात होने लगी।

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