Friday, December 1, 2006

पल-पल डूबती जिंदगी

तेरे मेरे बीच का रास्ता अलग हुआ
मेरे शहर चांद, तेरे शहर आइना हुआ।

जीने की राह फिर पकड़ ली उसने
मौत का जिंदगी से सौदा एकतरफा हुआ ।

बीरान शाम में रंगों का खेला हुआ
पल-पल डूबती जिंदगी का जश्न यही हुआ।

जफ़ा की डोर खींची अश्क ना संभले
जीने की राह में कुछ ऐसा सच-सच हुआ।

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