Friday, December 1, 2006

समयचक्र

अतीत को / वर्तमान से
जोड़ने का साहस/जब-जब
भी मैने दिखाया है / समय चक्र ने
विकृत मानसिकता का ही
चेहरा खींचा है....
सृष्टि व्युत्पत्ति की / कोमल भावना
सिसकती सी लगती है......
कोशिश करता हूं मैं / जब-जब
जोड़ने की / कला और आज के बीच
की श्रृंखला / उजियारे और अंधियारे के
बीच का/भेद साफ नज़र आता है.......

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