Friday, December 1, 2006

लड़की

गाँव की सरल पगडंडियां,
इमली के पत्तों ने
इशारा दिया बसंत का,
बाग में खिलती कली,
धान कूटता, रूक-रूक कर
कंधों को देता आराम,
ताई पढ़ती रही, रामायण के दोहे,
चहारदीवारी पर खींची गई
बांध बांधने की रेखा,
रस्सी कूदते, बेर खाते,
न पार कर पाई गांव का तालाब,
गांव के उस पार शहर में,
सूरज दिन में, चांद रात में
उगता रहा
रौशनी फैलाता रहा......।

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